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वारूळ वारूळ | मुंग्यांचें वारूळ |
कृमी-कीटकांनी | बांधिलें देऊळ |
मृत्तिकेचे कण | एकेक घेऊन |
स्वतंत्र, दुर्गम | बांधिलें भुवन |
तुफान वाऱ्याला | ऊन पावसाला |
द्यावया आव्हान | बांधिलें कष्टून. |
आणि कण कण | जमविलें अन्न |
कष्टाळू भंगूर | क्षणायू जीवन |
परंतु जीवांनो, | तुम्ही वारुळांत |
जीवनाचें सुख | आहांत भोगीत. |
असेल लाभत | मायेचा उबारा |
आणिक संकटी | मित्रांचा निवारा |
स्वातंत्र्याचे वारे | तुम्ही सेवणारे |
तुम्हां कोण म्हणे | दुर्बळ बिचारे ! |
तुमच्या मनाचे | तुम्ही मुखत्यार |
वारुळांत तुम्ही | स्वत:च ईश्वर |
वारुळांत नसे | शत्रूंना प्रवेश |
सत्कारार्थ त्यांच्या | लक्षावधी दंश. |
परी कधीं येतां | सर्पाचें संकट |
दुर्बळांना येई | सामर्थ्य अफाट ! |
कोट्यावधी जीव | पडती तुटून |
लक्षावधी जीव | जाती चिरडून. |
स्वातंत्र्याचें अंगी | संचरोनी वारें |
हटविती अंती | सर्पांना माघारे |
— श्रीकृष्ण पोवळे
संकल्पना : श्रीमती वनमाला पाटील, जालना